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KISA SHAHEEDE AJAM BHAGAT SINGH

 किस्सा शहीदे आजम भगत सिंह शहीद भगत सिंह का किस्सा उन दिनों का किस्सा है जब भारत पर अंग्रेजों का जुल्म -सितम जोरों पर था। यह कहानी उन दिनों की है जब सूरज की किरणें नित्य नये नये काले कानून लेकर आती थी। लूट , शोषण ,जुल्म और ज्यादतियों के खिलाफ अपना सब कुछ कुर्बान करने वाले हंसते हंसते फांसी के फंदे चूमने वाले क्रान्तिकारी वीरों की कहानी है यह।    भूमि लगान उगाही करने के लिए जो फसल का 70 फीसदी तक हो सकता था,सारे गांव को ईक्ट्ठा करके बेइज्जत किया जाता था,बहु बेटियों के सामने लोगों को नंगा कर दिया जाता । किसी भी प्रकार के विरोध पर जेल में डाल दिया जाता या गोली मार दी जाती। पूरे पंजाब में माल उगाही के खिलाफ आन्दोलनों का जोर होता है , उस समय लायलपुर ;अब पाकिस्तान में   द्ध के बंगा गांव में सरदार अर्जुन सिंह के घर 27 सितम्बर 1907 की रात एक पुत्र जन्म लेता है जो हर तरह की लूट खसोट ,शोषण , जुल्म ज्यादती के विरोध में शोषण रहित समाज के लिए जिन्दगी का हर पल कुर्बान करते करते मात्र 23 साल की उम्र में हंसते हंसते ईंकलाब को बुलन्द करने के लिए फांसी के फन्दे पर अपने दोस्तों के साथ झूल जाता है। इस म